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Friday, June 2, 2017

जीवन का परिधान

दिनकर सा रोशन, रजनीश सा शालीन,
आसमान सा विशाल, नीला, गोया कालीन।
अर्थ से विहीन, निष्कर्ष से परे,
जीवन का परिधान।

सृष्टि की विवेचना, कवी की कल्पना,
गीत सा मधुर, पवन, सुरों की साधना।
योगी का त्याग, किसी सूफी का राग,
जीवन का परिधान।

रात का अंधकार, सुबह का उजाला,
आत्म-मंथन से जना, अमृत-रस का प्याला।
उत्तेजना से भयभीत, मृदुलता से संतुष्ट,
जीवन का परिधान।

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