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Sunday, June 26, 2016

भूल जा

जो बात जुबान पर  आ  न  सकी,
जो अश्क  आख्नो पे आ  न  सके 
कुछ  जस्बात  जो  अफसाना  बन कर  रह  गए,
वो चाहतें जो पूरी न हुई.
भूल जा उनको, ए-दिल,
बीतीं यादें समझ कर

हर आह जो दिल से निकली तो सही
कहीं ठिठक, रुक सी गयी
हर  जख्म  जिसे  वक़्त  ने  भरा  तो  सही
किसी की याद  जिन्हें  कुरेद  के  चली  गयी.
भूल जा  उनको, ए -दिल,
बीतीं  यादें  समझ  कर .

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