बड़ी दूर चले आएं हैं हम।
चलते - चलते,
गिरते - संभलते ,
कभी ठोकर खाते,
कभी हँसते, कभी हॅसातें,
कभी दिलों को बहलाते,
अधूरी तमन्नाओं से
दिल को समझाते,
कभी मज़िलों की तलाश में,
कभी दिल की दबी,
अनसुनी आवाज़ से
बड़ी दूर चले आएं हैं हम।
चलते - चलते,
गिरते - संभलते ,
कभी ठोकर खाते,
कभी हँसते, कभी हॅसातें,
कभी दिलों को बहलाते,
अधूरी तमन्नाओं से
दिल को समझाते,
कभी मज़िलों की तलाश में,
कभी दिल की दबी,
अनसुनी आवाज़ से
बड़ी दूर चले आएं हैं हम।
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