उन पैमानों में थोड़ी सी जाम छोड़ आएं हैं ।
माना काफ़िर हैं वो, मगर उनके पास
अपना धर्म और ईमान छोड़ आएं हैं |
टटोला जेबों को जब, फ़ोन था, चाभियां भी थीं
दुनियादारी की चौखट पे मगर, ज़मीर का सामान छोड़ आएं है।
न मिला पाएंगे नज़र तुमसे ऐ 'चिराग' '
बीती उम्र के पास अपने ख़्वाब और अरमान छोड़ आएं हैं।
उन पैमानों में थोड़ी सी जाम छोड़ आएं हैं ।
माना काफ़िर हैं वो, मगर उनके पास
अपना धर्म और ईमान छोड़ आएं हैं |
टटोला जेबों को जब, फ़ोन था, चाभियां भी थीं
दुनियादारी की चौखट पे मगर, ज़मीर का सामान छोड़ आएं है।
न मिला पाएंगे नज़र तुमसे ऐ 'चिराग' '
बीती उम्र के पास अपने ख़्वाब और अरमान छोड़ आएं हैं।
उन पैमानों में थोड़ी सी जाम छोड़ आएं हैं ।